उत्तराखंड

पर्यावरण सूचकांक लागू होने पर डा. अनिल प्रकाश जोशी को दी बधाई, छह अप्रैल को जाड़ी मनाएगा जीईपी दिवस

देहरादूनः पर्यावरण सूचकांक समाज और सरकार के सामने रखने और सरकार से उसे लागू कराने की पैरवी के मुख्य सूत्रधार पद्मभूषण डा. अनिल प्रकाश जोशी को इस ऐतिहासिक सफलता के लिए जीईपी अभियान से जुड़े कार्यकर्ताओं ने शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया और मिठाई बांटी।

जीईपी को लेकर वर्ष 2012 में पद्मभूषण डा. अनिल जोशी के नेतृत्व में न्यू जलपाईगुड़ी पश्चिम बंगाल से देहरादून तक सात राज्यों में 45 दिन तक की गई यात्रा में शामिल द्वारिका प्रसाद सेमवाल, पत्रकार रेनू सकलानी, जाड़ी संस्थान के अध्यक्ष सतेन्द्र पंवार, रंजना कुकरेती, विनोद खाती, दया राम नोटियाल ने डा. जोशी को बधाई दी। साथ ही यात्रा के दौरान के अनुभव भी सांझा किए।

यात्रा में शामिल रहे गढ़भोज, बीज बम एवं कल के लिए जल अभियान के प्रणेता द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने कहा कि जब  पर्यावरण का एक और सूचक पर्यावरण सूचकांक (GEP) का  विचार डा. अनिल प्रकाश जोशी जी ने सरकार और समाज के सामने रखा गया, तब जीईपी शब्द और विचार एक दम नया था, न ही किसी सरकारी या गैर सरकारी लोगों को इस बारे में पता था।

यात्रा के दौरान जब इस मुद्दे को जनता के सामने रखा गया तो लोगों ने इसे हाथों हाथ लिया। समझा की विकास सिर्फ आर्थिक ही नहीं, बल्कि पर्यावरण का भी होना चाहिए और इसका हिसाब किताब भी होना चाहिए। इसके समर्थन में आगे आए यात्रा को सपोर्ट किया।

मेरा सौभाग्य है कि मैंने भी इस ऐतिहासिक कार्य में गिलहरी योगदान दिया, इसके लिए मैं हमेशा अपने गुरु डा. जोशी का आभारी रहूंगा।

दुनिया में पहली बार जीईपी के विचार को मान्यता के इस ऐतिहासिक अवसर को हम मिलकर आने वाले समय में बड़े उत्सव के रूप में मनाएंगे। जीईपी के लिए किए गए संघर्ष और उसकी सफलता को उत्सव के रूप में मनाने के लिए छह अप्रैल को जीईपी दिवस के रूप में जाड़ी संस्थान अन्य संगठनों के साथ मिलकर मनाएगा। इस संबंध में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह को पत्र भेजा गया है।

जीईपी के सूत्रधार डा. अनिल प्रकाश जोशी से भी बात की गई है। शुरुआती दौर की बातचीत उत्तराखंड के साथ हिमाचल के साथियों के साथ की जा चुकी है। इस ऐतिहासिक कार्य के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को भी बहुत बहुत धन्यवाद।

यात्रा में शामिल रही पत्रकार रेनू सकलानी ने कहा की यह पल हमारे लिए गौरव का है। जीईपी को लेकर की गई यात्रा ने मेरे जीवन को नई दिशा दी और पर्यावरण के प्रति नई समझ विकसित की।

मुझे इस महान ऐतिहासिक कार्य का हिस्सा बनाने के लिए मैं डा. अनिल जोशी का आभारी रहूंगी। इस मौके पर डा. अनिल जोशी ने कहा कि आपका ध्येय अगर पवित्र है तो अपने काम को करते रहें। आज लोगों को जीईपी को समझने की जरूरत है। इस अवसर पर पत्रकार रेनू सकलानी, विकास पंत आदि मौजूद रहे।

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