सरकार ने जारी किया जीओ, उत्तराखंड में मूल निवास प्रमाण पत्र धारकों को स्थायी निवास बनाने की बाध्यता नहीं
देहरादून: प्रदेश में अब मूल निवास प्रमाण पत्र धारकों को स्थायी निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। राज्य के मूल निवासियों व सामाजिक संगठनों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह आदेश जारी किया है। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी आदेश में सभी विभागों को इसका कड़ाई से अनुपालन करने के निर्देश दिए गए हैं।
प्रदेश में इस समय कई विभागों में मूल निवास प्रमाण पत्र धारकों को स्थायी निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने पर बाध्य किया जा रहा है, जबकि पूर्व में भी यह स्पष्ट किया गया था कि मूल निवास प्रमाण पत्र धारकों को स्थायी निवास प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है। इस विषय को लेकर कुछ संगठन 24 दिसंबर को मूल निवास स्वाभिमान रैली आयोजित कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के संज्ञान में आने के बाद उन्होंने इस प्रकरण को गंभीरता से लिया। उन्होंने शासन को इस दिशा में उचित कदम उठाने के निर्देश दिए। इसी क्रम में बुधवार को सचिव सामान्य प्रशासन विनोद कुमार सुमन ने आदेश जारी किया। इसमें स्पष्ट किया गया है कि 20 नवंबर 2001 को जारी शासनादेश में राज्य के विभिन्न कार्यों के लिए स्थायी निवास प्रमाण पत्र जारी करने की व्यवस्था की गई है।
वहीं, 28 सितंबर 2007 को जारी शासनादेश में यह स्पष्ट किया गया कि मूल निवास प्रमाण धारकों के लिए स्थायी निवास प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं होगी। यह देखा जा रहा है कि सेवायोजन, शैक्षणिक संस्थाओं व प्रदेश में अन्य विभिन्न कार्यों में मूल निवास प्रमाण पत्र धारकों से स्थायी निवास प्रमाण पत्र भी मांगा जा रहा है। आदेश में कहा गया कि जिन प्रयोजनों के लिए स्थायी निवास प्रमाण पत्र की आवश्यकता है, उनके लिए मूल निवास प्रमाण पत्र धारकों को स्थायी निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए बाध्य न किया जाए।