उत्तराखंड

Rudrpryag Accident: 27 सीट में दौड़ रहा था 20 सीट में पंजीकृत टेंपो-ट्रेवलर, ज्यादा सीटें लगाकर दौड़ रहे वाहन

देहरादून: रुद्रप्रयाग में हुई टेंपो-ट्रेवलर दुर्घटना की जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। पहला यह कि चालक के पास पर्वतीय मार्गों पर संचालन के लिए ड्राइविंग लाइसेंस में हिल इंडोर्समेंट नहीं था। दूसरा, 20 सीट में पंजीकृत इस टेंपो-ट्रेवलर में अवैध रूप से सात अतिरिक्त सीटें लगाई हुई थीं। यानी 20 सीट में पंजीकृत यह वाहन 27 सीट लगाकर दौड़ रहा था। हैरानी वाली बात यह है कि यात्रा मार्गों पर कदम-कदम पर प्रवर्तन कार्य और चेकपोस्ट का दंभ भरने वाले परिवहन विभाग ने इस वाहन की कहीं भी जांच नहीं की।

दिल्ली के मयूर विहार से शुक्रवार रात करीब साढ़े 11 बजे चला टेंपो-ट्रेवलर लगातार दौड़ता रहा और शनिवार सुबह रुद्रप्रयाग में अनियंत्रित होकर 500 मीटर नीचे अलकनंदा नदी में जा गिरा था। इस दुर्घटना में वाहन में सवार 15 पर्यटकों की मौत हो गई, जबकि 11 घायल हुए। वाहन में 26 लोग सवार थे, जिनमें 23 पर्यटक थे और शेष में दो चालक व एक हेल्पर था।

जो चालक वाहन चला रहा था, वह पर्वतीय मार्ग पर वाहन चलाने के लिए अधिकृत नहीं था। दरअसल, पर्वतीय मार्गों पर व्यावसायिक यात्री वाहन चलाने के लिए चालक के ड्राइविंग लाइसेंस में परिवहन कार्यालय में टेस्ट देकर हिल इंडोर्समेंट कराना आवश्यक होता है। दुर्घटना के बाद उक्त चालक के डीएल में अवैध रूप से हिल इंडोर्समेंट कराया जा रहा था। वहीं, अब वाहन की तकनीकी जांच में भी चौकानें वाली बात पता चली है कि वाहन में 27 सीटें लगी हुई थी। हालांकि, अभी परिवहन अधिकारी इस बारे में कुछ भी बताने से बच रहे हैं। लेकिन, पूरे घटनाक्रम ने परिवहन विभाग व पुलिस की चेकिंग की पोल जरूर खोल दी है। दिल्ली से चलकर इस वाहन की सबसे पहले नारसन रुड़की में चेकिंग होनी चाहिए थी व उसके बाद हरिद्वार व ऋषिकेश में।

फिर बदरीनाथ मार्ग पर ब्रह्मपुरी चेकपोस्ट, देवप्रयाग पुलिस चेकपोस्ट पर भी वाहन को रोका जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। रुद्रप्रयाग में परिवहन विभाग की इंटरसेप्टर भी तैनात रहती है, लेकिन इसने भी वाहन की जांच नहीं की।

हरियाणा, राजस्थान के वाहनों में सर्वाधिक शिकायत

परिवहन विभाग के सूत्रों की मानें तो मानक से अधिक सीट लगाकर वाहन संचालन करने की सबसे अधिक शिकायतें हरियाणा व राजस्थान में पंजीकृत यात्री वाहनों की हैं। पिछले वर्ष भी एक दर्जन ऐसी बसें पकड़ में आई थीं, जो चारधाम यात्रा में मानक से अधिक सीट लगाकर संचालित हो रही थीं। ऐसा टैक्स में चोरी के लिए किया जाता है। दरअसल, व्यावसायिक वाहन में सीट के हिसाब से परिवहन विभाग को टैक्स मिलता है। ऐसे में वाहन संचालक कम सीट में पंजीकृत वाहन में अतिरिक्त सीटें लगाकर अवैध तरीके से मुनाफा कमाते हैं। इस बार परिवहन विभाग इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा, यही कारण है कि वाहन बेधड़क ओवरलोडिंग में दौड़ रहे।

हरकत में आए अधिकारी, जांच शुरू

रुद्रप्रयाग में हुई दुर्घटना के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की नाराजगी के बाद परिवहन विभाग हरकत में आ गया है। देहरादून के आरटीओ (प्रवर्तन) शैलेश तिवारी ने सोमवार को यात्रा मार्गों की चेकपोस्ट व प्रवर्तन दलों का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान वाहन चालकों से भी बात कर उनकी काउंसिलिंग की। आरटीओ ने चालकों से बीच-बीच में विश्राम लेने और जबदरस्ती वाहन न चलाने को कहा। आरटीओ ने बताया कि मार्गों पर 55 वाहनों के ओवरलोडिंग व ओवरस्पीडिंग में चालान किए गए। आरटीओ ने यात्रियों को भी समझाया कि चालक पर लगातार वाहन चलाने, तेज दौड़ाने या पूरी रात वाहन चलाने का दबाव न बनाएं।

वाहन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है। ऐसे में उसमें सीटें अधिक थीं या मानक के अनुसार, यह अभी नहीं कहा जा सकता। विस्तृत जांच के बाद ही इस संबंध में शासन-प्रशासन को रिपोर्ट दी जाएगी।

प्रमोद कर्नाटकी, एआरटीओ रुद्रप्रयाग

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