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बड़े पर्दे पर दिखा ‘छोटा भीम’ यज्ञ का जलवा, हाउस फुल, बच्चे से लेकर बुजुर्ग भी कर रहे फिल्म को पसंद

देहरादून: बड़े पर्दे पर ‘छोटा भीम’ यज्ञ भसीन का जलवा दिखाई दिया। शुक्रवार को रिलीज हुई फिल्म ‘छोटा भीम एंड द कर्स आफ दमयान’ को बच्चों से लेकर बुजुर्ग सभी का प्यार मिल रहा है। इसी का नतीजा है कि फिल्म के सभी शो हाउस फुल हैं। बड़ी संख्या में लोग इस फिल्म को पसंद कर रहे हैं।

छोटा भीम को भला कौन नही जानता। बच्चों से लेकर बड़ों तक सबका दिल जीतने वाला छोटा भीम अभी तक आपने एनिमेशन मूवी में ही देखा होगा। ये एनिमेशन शो काफी हिट रहा है। आपको जानकर खुशी होगी कि पहली बार निर्माताओं ने बहुचर्चित एनिमेशन शो छोटा भीम को जीवंत कर दिया है। जी हां और छोटा भीम एंड द कर्स आफ दमयान फिल्म शुक्रवार को रिलीज हो गई। फिल्म में मुख्य भूमिका यानी छोटा भीम के किरदार में यज्ञ भसीन आपको दिखाई देंगे।

फिल्म में बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता अनुपम खेर, मकरंद देशपांडे और अन्य कलाकार शामिल है। छोटा भीम एंड द कर्स आफ दमयान के टीजर में यज्ञ भसीन यानी छोटा भीम से होती है, जो अपने से दोगुनी उम्र के लोगों से लड़कर अपनी पावर्स के साथ एंट्री करता है और अपने गुरु शंभू यानी अनुपम खेर और अपने गिरोह की मदद से बुराइयों से लड़ता है। अंत में, मकरंद देशपांडे को स्कंधी के विरोधी के रूप में दिखाया गया है।

बेटे को ‘छोटा भीम’ बनाने के लिए पिता का त्याग

यज्ञ ने बताया कि उन्हें हमेशा से फिल्में देखने का शौक था। वे अधिकतर सुपरहीरोज वाली फिल्में देखा करते थे। इन्हीं फिल्मों को देख उन्होंने एक्टर बनने का फैसला किया। यज्ञ ने जब यह बात पिता दीपक को बताई तो उन्होंने कुछ दिन तक इस बात पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन दस दिन बाद उन्होंने बेटे की बात पर गौर किया।

दीपक ने इस बारे में कहा, ‘मेरा पूरा परिवार नैनीताल में रहता था। मैं नैनीताल के हाईकोर्ट में आफिसर रेंक पर पोस्टेड था। आज से सात साल पहले की बात है। उस वक्त यज्ञ करीब सात साल का था और दूसरी क्लास में पढ़ता था। एक दिन मैं रोज की तरह आफिस जाने के लिए निकल ही रहा था कि इसने कहा- पापा, आइ वांट टू बी एन एक्टर (पापा मैं एक्टर बनना चाहता हूं)।

पहले दिन यज्ञ की इस बात को मैंने बिल्कुल सीरियसली नहीं लिया। अगले दिन फिर इसने यही बात कही। मैं फिर इस बात को नजर अंदाज करके ऑफिस चला गया। ये सिलसिला अगले 10 दिन तक चला। 10 दिन बाद मुझे लगा कि अगर इतना छोटा बच्चा रोज एक ही बात कह रहा है, तो जरूर कुछ है। एक दिन मैंने यज्ञ से बात की। मैंने उससे पूछा कि बेटा एक्टर बनने के लिए क्या करना पड़ेगा? जवाब में यज्ञ ने कहा- पापा हमें एलए शिफ्ट होना पड़ेगा। उस दिन के पहले मैंने एलए नाम ही नहीं सुना था। फिर बेटे ने बताया कि अमेरिका के लॉस एजिंल्स शहर को एलए कहते हैं। उस वक्त वहां पूरे परिवार का शिफ्ट होना नामुमकिन था।

मैंने यज्ञ से पूछा कि इसके अलावा हमारे पास क्या कोई दूसरा रास्ता है। यज्ञ ने कहा- पापा इसके अलावा सिर्फ मुंबई ही एक ऐसी जगह है, जहां हम जा सकते हैं। बेटे से बात करने के 1-2 दिन बाद मैंने पत्नी से बात की। उन्होंने कहा कि मैं जो फैसला लूंगा, उसमें उनका पूरा सपोर्ट रहेगा।’

बेटे को एक्टर बनाने के लिए नौकरी छोड़ी, लोगों ने इस फैसले को गलत माना

दीपक ने यज्ञ के आगे के सफर के बारे में बताया। उन्होंने कहा, ‘जनवरी 2017 में हमने फैसला कर लिया कि हम मुंबई शिफ्ट होंगे। सबसे पहले मैंने अपनी नौकरी छोड़ दी। वहीं, पत्नी ने भी अपना ब्यूटी पार्लर बंद कर दिया। नैनीताल से मुंबई शिफ्ट होना आसान नहीं था। हमारे इस फैसले का लोगों ने विरोध भी किया। मेरे जानने वाले कहते थे कि मुंबई शिफ्ट होने का फैसला गलत है। मुंबई जाते ही कोई शाहरुख खान या अमिताभ बच्चन नहीं बन जाता है। हालांकि, मैंने उन लोगों की बातों पर ध्यान नहीं दिया। मुंबई में स्ट्रगल करने के बाद भी मुझे कभी अपने इस फैसले पर पछतावा नहीं हुआ। हां, आज जब पीछे देखता हूं तो लगता है कि यह सफर मुश्किल तो था।’

55 आडिशन के बाद यज्ञ को पहला शो मिला

दीपक ने कहा, ये सारे इंतजाम करने के बाद मुझे ये पता करना था कि ऑडिशन किधर होते हैं। इसके लिए मैं सुबह से दोपहर तक सड़कों पर अजनबियों से पूछता रहता था। कभी कोई मुझे पागल कहकर भगा देता, तो कभी मेरा मजाक बना देता। हालांकि, 1-2 लोग ऐसे होते थे जो मेरी हालत को समझते थे और ऑडिशन का पता बता देते थे। इस तरह पूछ-पूछ कर पता चला कि चार बंगला, वर्सोवा, आरामनगर, अंधेरी जैसी जगहों पर ऑडिशन होते हैं। यज्ञ छोटा था इसलिए उसे तुरंत वहां ले नहीं जाता था। पहले मैं इन जगहों पर गया, वहां के प्रोसेस को समझा फिर यज्ञ को वहां ले जाने लगा।

हर रोज यही कार्यक्रम चलता। रोज रात को 12 या 1 बजे घर लौटता। अगले दिन फिर यज्ञ सुबह जल्दी स्कूल जाता, फिर वहां से ऑडिशन के लिए। ये सिलसिला 3 महीने चला। इन तीन महीने में यज्ञ ने 55 से ज्यादा ऑडिशन दिए। फिर जाकर उसे टीवी शो ‘मेरे साई’ में काम मिला। इस शो में हर दिन की शूटिंग के हिसाब से 3 हजार रुपए मिले थे। आने वाले समय के लिए अच्छा पैसा इकट्ठा हो गया। फिर बेटे की सहूलियत के लिए पूरा परिवार अंधेरी शिफ्ट हो गया। यहां हम फ्लैट में नहीं रह सकते थे। ऐसे में चॉल में रहने लगे।’

तंगी का सामना भी किया, मंदिर के बाहर खाना मांगकर खाते थे

कभी-कभी ऐसा भी वक्त आया, जब खाने तक के पैसे नहीं थे। इस हालात के साथ यज्ञ के पिता दीपक समझौता नहीं करना चाहते थे। उन्होंने फूड डिलीवरी बॉय का काम करने का भी मन बना लिया था। पत्रकारिता करने के बारे में भी सोचा था। इसके लिए कॉलेज में एडमिशन भी ले लिया था, लेकिन इन वक्त पर यज्ञ को किसी ना किसी प्रोजेक्ट में काम मिल जाता था। इस वजह से बाकी दूसरे काम करने की नौबत नहीं आई। दीपक ने कहा, ‘हां ये काम करने की नौबत तो नहीं बनी, लेकिन कभी-कभार हालात ऐसे बने कि हमें मंदिर के बाहर खाना मांगकर खाना पड़ा।’

कंगना की फिल्म पंगा से बदली किस्मत

यज्ञ ने फिल्म पंगा में कंगना रनोट के बेटे का रोल प्ले किया था। एक बार उन्होंने कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा के यहां ऑडिशन दिया था, लेकिन ये बात उन्हें याद नहीं थी। एक दिन अचानक मुकेश छाबड़ा की टीम की तरफ से कॉल आया, जिससे यज्ञ की किस्मत ही बदल गई। टीम की तरफ से कहा गया कि उन्होंने जिस रोल के लिए ऑडिशन दिया था, उसमें उनका सिलेक्शन हो गया है। इस तरह यज्ञ फिल्म पंगा से जुड़े। यज्ञ ने बताया, ‘फिल्म पंगा के बाद मुझे फिल्म बिस्वा में काम मिला। इस फिल्म की लास्ट डे शूटिंग के दिन कोरोना का आतंक पूरे विश्व में फैल गया था।

इसकी शूटिंग के बाद मैं पेरेंट्स के साथ नैनीताल में अपने गांव चला गया। वहां कुछ ही दिन रहा कि टीवी शो ये हैं चाहतें का ऑफर मिला। कोरोना के वक्त इस शो में काम करने का रिस्क हम नहीं लेना चाहते थे। लेकिन मेकर्स ने भरोसा दिलाया कि वो शूटिंग के वक्त कोविड की प्रॉपर गाइडलाइंस फॉलो करेंगे। इसके चलते हमने शो के लिए हामी भर दी। इसे शो में मैंने डेढ़ साल काम किया।’

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