देहरादून: बढ़ती महंगाई का असर अब कॉर्बेट की सफारी पर भी पड़ता नजर आ रहा है। अब जिम कार्बेट में सफारी महंगी हो गई है और नाईट स्टे भी दोगुना हो गया है। साफ है कि कॉर्बेट नेशनल पार्क में डे सफारी, नाइट स्टे से लेकर फोटोग्राफी तक के लिए जेब पहले से अधिक ढीली करनी होगी।
प्रस्तावित नये शुल्क की बात करें तो बिजरानी, ढेला, झिरना, दुर्गादेवी, गिरिजा पर्यटन जोन में डे विजिट के लिए अधिकतम छह लोगों तक पहले एक हजार रुपये का परमिट लगता था। अब प्रति व्यक्ति प्रवेश शुल्क मिलाकर छह लोगों के लिए 3380 रुपये देने होंगे। इसके अतिरिक्त 800 रुपये गाइड व जिप्सी के 2500 रुपये अलग से देने होंगे।
डे सफारी के लिए पर्यटकों को कुल मिलाकर 6680 रुपये देने होंगे, जबकि पहले इसके लिए 4300 रुपये ही चुकाने होते थे। नाइट स्टे का शुल्क भी दोगुना हो गया है। हालांकि वन प्रभाग के फाटो व सीतावनी जोन के लिए एक परमिट पर 500 रुपये बढ़ा है। यहां का शुल्क अब 1500 रुपये हो गया। वर्ष 2009 के बाद की गई यह वृद्धि नए पर्यटन सत्र से लागू होगी, जिसे कार्बेट की वेबसाइट पर जल्द ही अपडेट किया जाएगा।
कार्बेट में फोटोग्राफर के लिए भी कैमरे का शुल्क बढ़ाया
पहले एसएलआर कैमरा मूवी का कोई शुल्क नहीं था। अब इसके लिए भारतीय को एक हजार व विदेशी पर्यटक को दो हजार रुपये चुकाने होंगे। एसएलआर के 300 एमएम या अधिक लेंस के कैमरे के लिए भारतीय को 15 सौ व विदेशी को तीन हजार रुपये देने होंगे। व्यावसायिक फोटोग्राफी के लिए अब भारतीय को दो हजार व विदेशी फोटोग्राफर को चार हजार रुपये देने होंगे।
ऐसे समझें डे विजिट की वृद्धि
- प्रति पर्यटक शुल्क 500
- छह पर्यटकों का शुल्क 3000
- आनलाइन शुल्क 50
- कूड़ा प्रबंधन शुल्क 80
- गाइड शुल्क 800
- जिप्सी प्रवेश शुल्क 250
- जिप्सी शुल्क बिजरानी 2500
कैंटर नंबर के साथ आवंटित होगी सीट
कार्बेट पार्क में कैंटर सफारी के लिए पर्यटकों को परेशान नहीं होना पड़ेगा। एडवांस आनलाइन बुकिंग कराने वालों को अब कैंटर के साथ ही सीट नंबर भी आवंटित होगी। कार्बेट की ओर से तैयार की जा रही नई वेबसाइट में इस सुविधा को शामिल किया जा रहा है। नए पर्यटन सत्र से इसका लाभ मिलने लगेगा। असल में कार्बेट नेशनल पार्क में जिप्सी के साथ ही कैंटर से भी सफारी होती है। दोनों के लिए ही एडवांस बुकिंग आनलाइन होती है। प्रत्येक पर्यटक को कैंटर में सफारी के लिए एक हजार रुपये चुकाने पड़ते हैं। यहां सुबह व शाम की पाली में चार-चार कैंटर चलते हैं। एक कैंटर में चालक व गाइड समेत 18 सीटें होती हैं। अब तक पर्यटकों को किस कैंटर में किस सीट पर बैठना है, यह तय नहीं होता था। ऐसे में उन्हें सीट के लिए परेशान होना पड़ता था। लेकिन अब कार्बेट प्रशासन इसके लिए अपनी वेबसाइट में बदलाव कर रहा है।