नैनीताल: हाई कोर्ट ने उद्यान विभाग में करोड़ों के घोटाले की सीबीआइ जांच के आदेश् पारित किए हैं। सेवानिवृत्त होने से पहले मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने यह अहम आदेश पारित किया है।
इस मामले में सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रखा गया था, जिसे गुरुवार को जारी किया गया। कोर्ट ने अपने 45 पेज के आदेश में कहा है कि इस घिनौने मामले की जांच के लिए मामला सीबीआइ को सौंपा जाना चाहिए।
कोर्ट ने कहा है कि आपराधिक साजिश और राज्य के खजाने में धन के लेनदेन के प्रभाव का पता लगाने के लिए सीबीआइ जांच जरूरी है। यह सीबीआइ को निर्देशित करने के लिए एक उपयुक्त मामला है।
कोर्ट ने सीबीआइ को मामले में प्रारंभिक रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश भी दिए हैं। कोर्ट ने उम्मीद जताई कि एजेंसी मामले को उसके तार्किक निष्कर्ष तक ले जाएगी। सरकार को समस्त मूल रिकार्ड के साथ ही जांच के दौरान सीबीआइ की ओर से मांगे जाने वाले दस्तावेज मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं।
इस मामले में एसआइटी द्वारा जुटाई समस्त सामग्रियों के साथ तैयार रिपोर्ट भी सीबीआइको सौंपी जाएगी।सीबीआइ को तीन माह के भीतर जांच पूरी करने को कहा गया है। कोर्ट ने याचिकाओं को अंतिम रूप से निस्तारित कर दिया है।
यह थी याचिका
अल्मोड़ा निवासी दीपक करगेती, गोपाल उप्रेती व अन्य ने जनहित याचिका दाखिल कर उद्यान विभाग में घोटाले का आरोप लगाया था। याचिकाओं में कहा गया है कि उद्यान विभाग में लाखों का घोटाला किया गया है। फल और अन्य के पौधरोपण में गड़बडियां की गई है। विभाग ने एक ही दिन में वर्क आर्डर जारी कर उसी दिन जम्मू कश्मीर से पौधे लाना दिखाया गया है। जिसका भुगतान भी कर दिया गया। पूरे मामले में वित्तीय व अन्य गड़बड़ी की सीबीआई या फिर किसी निष्पक्ष जांच एजेंसी से जांच कराई जाए। शीतकालीन सत्र में निलंबित उद्यान निदेशक एचएस बावेजा ने पहले एक नकली नर्सरी अनिका ट्रेडर्स को पूरे राज्य में करोड़ों की पौध खरीद का कार्य देकर बड़े घोटाले को अंजाम दिया।
जब किसानों ने इस घपले को जोरशोर से इस प्रकरण को उठाया तो आननफानन में अनिका ट्रेडर्स के आवंटन को रद करने का पत्र जारी कर दिया गया,फिर भी पौधे अनिका ट्रेडर्स के बांटे गए। नैनीताल में मुख्य उद्यान अधिकारी के साथ मिलकर निलंबित डायरेक्टर ने एक फर्जी आवंटन जम्मूकश्मीर की एक और नर्सरी बरकत एग्रो फार्म को कर दिया गया,जिसमें हुए भौतिक सत्यापन में भी गड़बड़ी का जिक्र याचिका में किया है।
बरकत एग्रो फार्म को इनवॉइस बिल आने से पहले ही भुगतान कर दिया गया,तो कहीं अकाउंटेंट के बिलों पर बिना हस्ताक्षर के ही करोड़ों रुपये ठिकाने लगा दिए।