देहरादून: ‘लिख रहा हूं मैं अंजाम जिसका कल आगाज आएगा, मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा। मैं रहूं या न रहूं पर ये वादा है तुमसे मेरा, कि मेरे बाद वतन पर मरने वालों का सैलाब आएगा’, यह पंक्तियां देश सेवा के लिए समर्पित भारतीय सेना की सोच को जाहिर करती हैं। जांबाजी की इस दास्तां का नायाब उदाहरण आइएमए परेड में भी दिखा। शिमला बाईपास रोड स्थित भुड्डी गांव निवासी जुनैद अहमद ने सैन्य अफसर बनकर परिवार का मान बढ़ाया है। वह एक शहीद परिवार से संबंध रखते हैं।
लेफ्टिनेंट जुनैद अहमद की मां स्व. समीना एक वीरनारी थीं, जिनके पति सिपाही अमीर खान ने वर्ष 1994 में देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। बाद में समीना का बलिदानी अमीर के छोटे भाई अमीर अहमद से पुनर्विवाह हुआ, जिनका बेटा जुनैद अपने ताऊ की शहादत से प्रेरणा लेकर फौज में अफसर बन गया है। लेफ्टिनेंट जुनैद एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं और सेना में अफसर बनकर वह क्षेत्र के नवयुवकों के लिए प्रेरणा बन गए हैं। गौरव सेनानी एसोसिएशन से जुड़े पूर्व सैनिकों ने घर पहुंचने पर लेफ्टिनेंट जुनैद का फूल मालाओं से स्वागत किया। संगठन के अध्यक्ष महावीर सिंह राणा ने कहा कि आज जब क्षेत्र में कई युवा नशे की गिरफ्त में हैं, तब लेफ्टिनेंट जुनैद जैसे होनहार क्षेत्र का नाम रोशन कर रहे हैं। वह आगे कई वर्षों तक युवाओं को प्रेरित करते रहेंगे।