देहरादून: उत्तराखंड में हिंदी, गढ़वाली व कुमाऊंनी समेत क्षेत्रीय बोलियों में बनने वाली फिल्मों को विशेष अनुदान दिया जाएगा। क्षेत्रीय बोलियों में बनने वाली फिल्मों को शूटिंग की अवधि के दौरान राज्य में व्यय की गई धनराशि का 50 प्रतिशत या दो करोड़ रुपये, जो भी कम हो तक की धनराशि का अनुदान दिया जाएगा।
पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड शूटिंग डेस्टिनेशन के रूप में उभरा है। उत्तराखंड फिल्म विकास परिषद के सीईओ एवं सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने बताया कि नई फिल्म नीति में केवल गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी बोली का ही उल्लेख नहीं है, बल्कि प्रदेश की अन्य क्षेत्रीय बोलियां भी इसमें शामिल की गई हैं।
अनुदान के लिए फिल्म का 75 प्रतिशत फिल्मांकन उत्तराखंड में होना जरूरी है। उन्होंने बताया कि नई फिल्म नीति के लागू होने से क्षेत्रीय बोलियों की फिल्मों को प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही, स्थानीय फिल्म निर्माता व निर्देशकों को भी इसका लाभ मिलेगा। इसके अलावा नई फिल्म नीति में राज्य में शूट होने वाली बाल फिल्मों को अतिरिक्त 10 प्रतिशत का अनुदान देने का भी प्रविधान भी किया गया है।
ओटीटी प्लेटफार्म को मान्यता देते हुए राज्य में शूट होने वाली वेबसीरीज के 30-30 मिनट के न्यूनतम पांच एपीसोड को भी फिल्मों की तरह सब्सिडी दी जाएगी। पर्वतीय क्षेत्रों में नई लोकेशन विकसित करने के लिए पांच प्रतिशत अनुदान की भी व्यवस्था इसमें की गई है। उन्होंने बताया कि पर्वतीय क्षेत्रों में नई लोकेशन विकसित करने के लिए पांच प्रतिशत अनुदान की भी व्यवस्था इसमें की गई है। उत्तराखंड में 2015 से अब तक एक हजार से ज्यादा फिल्म, वेब सीरीज और धारावाहिकों की शूटिंग हो चुकी है।