चमोली: राज्य गठन के 23 वर्ष बाद भी पर्वतीय जिलों में जिंदगी लोहे के तारों पर घिसट रही है। मंगलवार को ओडर गांव में पिंडर नदी पर लगी ट्राली तकनीकी खराबी आने से नदी के बीचोंबीच अटक गई। इससे ट्राली में सवार तीन ग्रामीण फंस गए। सूचना मिलने के दो घंटे बाद लोक निर्माण विभाग की टीम मौके पर पहुंची और ग्रामीणों को निकाला। इस बीच करीब ढाई घंटे तक ट्राली में फंसे युवकों, उनके स्वजन व अन्य ग्रामीणों की सांसें अटकी रहीं।
सीमांत चमोली जिले में देवाल विकासखंड के अंतर्गत आता है ओडर गांव। 700 से अधिक आबादी वाले इस गांव को देवाल से जोड़ने के लिए पिंडर नदी पर झूला पुल था, जो वर्ष 2013 में आई आपदा में बह गया। इसके बाद लोनिवि ने नदी पर इलेक्ट्रालिक ट्राली लगाई। फिलहाल, ग्रामीण नदी के इस छोर से उस पार आने-जाने के लिए इसी ट्राली पर निर्भर हैं।
उफनती नदी के ऊपर बंधी करीब 100 मीटर लंबी इस लोहे की डोर पर जिंदगी कहां साथ छोड़ दे कह नहीं सकते। सुबह करीब आठ बजे ओडर गांव निवासी सुरेंद्र सिंह, विरेंद्र सिंह और सुनील राम ट्राली में बैठकर देवाल बाजार की ओर जा रहे थे। नदी के बीचोंबीच पहुंचते ही ट्राली की बैरिंग ने काम करना बंद कर दिया। इससे तीनों ग्रामीण वहीं फंस गए। काफी प्रयास के बाद भी ट्राली नहीं चली तो ग्रामीणों ने लोक निर्माण विभाग के थराली खंड को सूचना दी।
घटना की जानकारी मिलते ही ग्रामीणों के स्वजन व अन्य लोग भी मौके पर पहुंच गए। करीब 10 बजे लोनिवि की टीम मौके पर पहुंची और ग्रामीणों की मदद से आधा घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद ट्राली को रस्सी से खींचकर युवकों को सकुशल निकाल लिया। तब जाकर सभी ने राहत की सांस ली।
ग्रामीणों ने बताया कि अब ट्राली ठीक होने तक बोरागाड होते हुए पांच किलोमीटर पैदल चलकर देवाल जाना होगा। उन्होंने कहा कि ट्राली अक्सर खराब हो जाती है। इस कारण नदी के बीच ट्राली के रुकने की कई घटनाएं हो चुकी हैं। इससे उन्हें भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। लोनिवि के अधिकारी सालभर से पुल निर्माण की स्वीकृति मिलने का सिर्फ दावा कर रहे हैं।
लोनिवि थराली के अधिशासी अभियंता दिनेश मोहन गुप्ता ने बताया कि ट्राली के फंसने की सूचना मिलते ही टीम को घटनास्थल पर भेज दिया था। जल्द ही ट्राली की मरम्मत कर दी जाएगी।