पेडों के अवैध कटान पर राज्य सरकार से मांगा जवाब, डीएफओ की रिपोर्ट से हाई कोर्ट संतुष्ट नहीं
नैनीताल: हाई कोर्ट ने रामनगर व तराई केंद्रीय वन प्रभाव के अंतर्गत कालाढूंगी से बाजपुर के बीच अवैध पेड़ो के कटान के मामले में स्वतः संज्ञान ली गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से एक सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा है।
कोर्ट ने मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद वशिष्ठ व हर्षपाल को न्यायमित्र नियुक्त किया है। सुनवाई के दौरान डीएफओ की ओर से रिकार्ड पेश किया गया, जिस पर कोर्ट संतुष्ट नहीं हुई। रजिस्टर में जो चालान दर्ज किए गए थे, सब एक पैन से व एक ही व्यक्ति ने दर्ज किए थे। कोर्ट में तराई केंद्रीय के डीएफओ तराई हिमांशु बागड़ी, डीएफओ रामनगर प्रकाश आर्य, बन्नाखेड़ा के वन क्षेत्राधिकारी लक्ष्मण मर्तोलिया पेश हुए।
30 अक्टूबर को कोर्ट ने डीएफओ से पूछा था कि यह पेड़ किस नियमावली के तहत काटे जा रहे हैं। चेकिंग पोस्ट पर कितने वाहनों का चालान किया गया। यह भी कहा कि चेकिंग पोस्ट में नियुक्त कर्मचारी बिना वाहनों की बिना चेकिंग बेरोकटोक जाने दे रहे हैं।
न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा व न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा था कि ग्रामीण प्रत्येक दिन साइकिल पर लगभग दो दो कुंतल तक लकड़ी लादकर धक्का मारकर ले जा रहे । खाना बनाने के लिए प्रत्येक दिन कितनी लकड़ी की जरूरत होती है? हमने देखा है कि उस क्षेत्र में हर घर के सामने कई कुंतल लकड़ियां जमा कर रखी है, क्या यह वनों का विदोहन नहीं है ? अधिकारी इसपर कोई कदम नहीं उठा रहे है।
हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा ने दिल्ली जाते समय उस क्षेत्र में हो रहे पेड़ो के अवैध कटान का स्वतः लिया था। मामले की वास्तविक स्थिति को जानने के लिए सम्बंधित क्षेत्र के डीएफओ व अन्य अधिकारियों को कोर्ट में तलब किया था।