Crime: 14 साल से नाम छिपाकर हरियाणा में रह रहा था चाचा की हत्या का आरोपित प्रकाश
बिन्दुखत्ता में जमीनी विवाद में घटना को दिया था अंजाम, चंपावत का रहने वाला है आरोपी ओम प्रकाश बनकर रह रहा था हत्यारा प्रकाश, नेपाल में रहने की अफवाह फैलाकर अब तक पुलिस से बचा था
देहरादून: ऑपरेशन प्रहार के तहत उत्तराखंड एसटीएफ को एक और बड़ी कामयाबी मिली है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने बताया कि अब तक 50 शातिर व खतरनाक इनामी अपराधियों की गिरफ्तारी एसटीएफ ने की है। स्पेशल टास्क फोर्स उत्तराखण्ड ने शनिवार को बल्लभगढ़ से आरोपित प्रकाश पंत को गिरफ्तार किया।
प्रकाश पंत ने दस दिसंबर 2009 को जमीन के बंटवारे को लेकर चाचा दुर्गा दत्त पंत की गोली मारकर हत्या कर दी थी और फरार हो गया था। वह तभी से फरार था। जिसकी गिरफ्तारी के लिए नैनीताल पुलिस ने काफी प्रयास किये थे। लेकिन प्रकाश पंत दिल्ली, हरियाणा, बेंगलौर, तमिलनाडु, गुजरात, पूना में पहचान छिपाकर रह रहा था। उसने अपना नाम ओमप्रकाश रखा था। वह वैल्डिंग का काम कर रहा था। वह समय-समय पर अपने छिपने का स्थान बदलकर वैल्डिंग की दुकानो / फैक्ट्री में काम कर रहा था। अभियुक्त प्रकाश पंत ने बताया कि मैं पहले से फरीदाबाद में काम वेल्डिंग फैब्रिकेशन फीटर का काम करता था।
चम्पावत में पैतृक जमीन थीं और मेरे चाचा जो कि विन्दुखाता लालकुंआ, नैनीताल में रहते थे। उक्त जमीन के बंटवारों को लेकर मेरे पिता व मेरे चाचा दुर्गा दत्त पंत के मध्य विवाद चल रहा था। दस दिसंबर 2009 को मैं दिल्ली से चाचा के पास बिन्दुखाता जमीन के सम्बन्ध में बात करने आया और अपने चाचा को खूब समझाया परन्तु वह नहीं माने तो मैंने गुस्से में आकर तंमचे से उनको गोली मार दी। उसके बाद में वहाँ से फरार हो गया तथा हरियाणा, बंगलौर, तमिलनाडु, गुजरात, पूना आदि स्थानो पर रह रहा था। वर्ष 2016 में मैने उन्नाव, उप्र की रहने वाले एक परिवार की लड़की पूजा से शादी कर ली और मैं बल्लभगढ़ हरियाणा में मशीन के समान की वेल्डिंग की दुकान खोल ली। पिछले सात साल से वहीं रह रहा था। वहाँ मुझे सब ओम प्रकाश के नाम से जानते थे।
वर्तमान में मेरे 07 वर्ष 04 वर्ष व 02 वर्ष के तीन बेटे है मैने अपना घर जीवन नगर गोची. बल्लभगढ, फरीदाबाद हरियाणा में मैने एक अपना घर भी बना लिया था। मैने अपनी रिश्तेदारी और पुराने रहने की जगह में सभी को यह अफवाह फैला दी थी कि मै अब नेपाल में रह रहा हूँ तथा अब कभी भारत वापस नही आउँगा, जिससे कि पुलिस का ध्यान मेरे से हट जाये मेरी इस तरकीब से यह प्रभाव पड़ा कि सभी लोग मुझे नेपाल में रहना समझ कर मेरी खोजबीन नहीं कर रहे थे। उपरोक्त अभियुक्त की गिरफ्तारी में हे०का० अर्जुन रावत एंव का० अनिल कुमार का महत्वपूर्ण योगदान रहा।