देहरादून: उत्तराखंड की प्रतिभाएं देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी अपने हुनर से पहचान बना रही हैं। आज हम जिनसे आपको जिस शख्सियत से मिलाने जा रहे हैं, वह भी किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। ये विदेशी धरती में आठ भारतीय रेस्टोरेंट के मालिक तो हैं ही, साथ ही विदेशी फिल्म इंडस्ट्री में भी इनका डंका बजता हैं।
टिहरी जिले के देव रतूड़ी आज पूरी दुनिया में एक जाना-पहचाना नाम हैं। देश ही नहीं विदेश में भी उनके हुनर का डंका बज रहा है। वह चीनी फिल्म इंडस्ट्री का एक चर्चित चेहरा हैं। विशेष यह कि देव की संघर्ष गाथा को प्रेरक कहानी के रूप में चीन के सातवीं कक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। टिहरी जिले के भिलंगना ब्लाक की पट्टी केमर के ग्राम केमरया सौड़ में जन्मे 47-वर्षीय देव रतूड़ी की प्रारंभिक शिक्षा राजकीय इंटर कालेज चमियाला (लाटा) में हुई। दसवीं की पढ़ाई करने के बाद वर्ष 1998 में देव रोजगार की तलाश में दिल्ली चले गए। मन में एक्टर बनने की चाह थी, इसलिए सबसे पहले उन्होंने वहां मार्शल आर्ट सीखी। कुछ समय दिल्ली में रहने के बाद फिर उन्होंने मुंबई की राह पकड़ ली।
देव बताते हैं कि लगभग आठ वर्ष उन्होंने मुंबई में रहकर होटल की नौकरी करने के साथ कुछ टीवी सीरियल और नाटकों में भी काम किया। इससे फिल्मों को लेकर उनका रुझान और बढ़ गया। बकौल देव, ‘वर्ष 2005 में मुझे चीन जाने का मौका मिला। वहां पहुंचकर मैंने अपने वास्तविक नाम द्वारिका प्रसाद रतूड़ी को बदलकर देव रतूड़ी कर दिया। इसके बाद मैंने एक होटल में वेटर के रूप में काम करना शुरू किया और फिर वहीं मैनेजर का पद संभाला।’
देव बीते 18 वर्ष से पत्नी अंजलि व दो बच्चों के साथ चीन में रह रहे हैं। अभी तक वह 35 से अधिक चाइनीज फिल्मों में अपने अभिनय का जलवा बिखेर चुके हैं। अब उनकी इच्छा भारत में भी फिल्मों में काम करने की है। देव बताते हैं कि वह भारतीय और उत्तराखंडी तीज-त्योहारों को अपने सभी इंडियन रेस्टोरेंट में धूमधाम के साथ मनाते हैं। साथ ही भारतीय वेशभूषा को संजोये रखने के लिए वह अपने सभी रेस्टोरेंट में उसका प्रदर्शन करते हैं। चीनी लोग इसे खूब पसंद करते हैं।
देव रतूड़ी ने वर्ष 2013 में चीन में पहला इंडियन रेस्टोरेंट खोला था। वर्तमान में वह आठ रेस्टोरेंट के मालिक हैं, जिनमें 50 से अधिक उत्तराखंडियों को रोजगार भी मिल रहा है। वर्तमान में देव की पहचान चीन के उद्योगपतियों में होती है, जो टिहरी जिले के साथ ही उत्तराखंड एवं देश के लिए गौरव की बात है