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सोच को सलाम: नैनीताल में घोड़ा लाइब्रेरी से नौनिहालों तक पहुंचाया जा रहा अक्षर ज्ञान

देहरादून: यदि आपमें कुछ करने का जज्बा है मन में बेहतर करने की इच्छाशक्ति है तो मुश्किल हालात और मुश्किल रास्ते भी आसान डगर में तब्दील हो जाते हैं। यदि जिंदगी में सफल होना है तो कठिन हालात और विपरित परिस्थितियों में भी कुछ क्रिएटिव करना आना चाहिए। यदि आपने एेसा कर लिया तो मंजिल आसान होती चली जाएगी। ऐसा ही कुछ किया है उत्तराखंड के नैनीताल जिले के कोटाबाग ब्लाक की एक संस्था ने। संस्था विपरित परिस्थितियों और मुश्किल हालात में बच्चों को अक्षर ज्ञान सीखा रही है।

विपरीत परिस्थिति में कैसे कुछ क्रिएटिव किया जाए यह नैनीताल जिले के कोटाबाग ब्लॉक की हिमोत्थान संस्था से सीखा जा सकता है। दरसअल ब्लाक के कुछ दुर्गम इलाकों के नौनिहालों तक किताबों को पहुंचाने के लिए हिमोत्थान संस्था की ओर से घोड़ा लाइब्रेरी शुरू की गई है। दुर्गम ग्रामीण इलाकों में पिछले कुछ महीने से इस घोड़ा लाइब्रेरी के जरिए नौनिहालों को अक्षर ज्ञान के साथ ही कई ज्ञानवर्धक जानकारियां उपलब्ध कराई जा रही है। जो उनके आने वाले भविष्य में बेहद काम आएंगी।

घोड़े पर बनाई लाइब्रेरी

कोटाबाग के दुर्गम पहाड़ी इलाकों जिनमें ग्राम बाघनी, छड़ा और जलना के युवाओं और स्थानीय शिक्षा प्रेरकों की मदद से इस घोड़ा लाइब्रेरी की शुरुआत की गई है। इसके जरिये दुर्गम पर्वतीय ग्राम तोकों में “घोड़ा लाइब्रेरी” के माध्यम से पुस्तकें पहुंचाई जा रही हैं, ताकि पहाड़ के बच्चों को भी पढ़ने के लिए, रोचक कहानी-कविताएं निरंतर मिल पाएं, जिससे उनका ज्ञान वर्धन हो सकें।

बच्चों तक पहुंचाई जा रही पुस्तकें

हिमोत्थान संस्था के शिक्षा प्रेरक सुभाष बधानी ने बताया कि आज भी कोटाबाग के कई दुर्गम ग्रामीण इलाके ऐसे हैं जहां राज्य बनने के इतने साल बाद भी मार्ग की स्थिति बेहद दयनीय है। जिसके चलते वहां रहने वाले नौनिहालों को शिक्षा के लिए कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिसको देखते हुए हिम्मोत्थान संस्था मुश्किल हालातों में भी बच्चों तक किताबें पहुंचाने का बीड़ा उठाया और सड़क न होते हुए घोड़े के जरिए बच्चों तक पुस्तकें पहुंचाई।

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उन्होंने आगे बताया कि पुस्तकें पहुंचाने के साथ ही उनकी ओर से चौपाल लगाकर नौनिहालों को अक्षर ज्ञान के साथ ही कई फिजिकल एक्टिविटीज भी कराई जाती है, जो उनके बौद्धिक विकास के साथ ही शारीरिक विकास दोनों के लिए बेहद कारगर सिद्ध होगी. उन्होंने बताया कि इसके अलावा कहानी और चित्रों के माध्यम से भी बच्चों को पढ़ाया जाता है जिससे उनका रचनात्मक विकास हो सके।

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