रामपुर तिराहा कांड: आंदोलनकारियों से फर्जी हथियार बरामदगी मामले में विवेचक को फिर से तलब करने को दी अर्जी
मुजफ्फरनगर : रामपुर तिराहा कांड से जुड़े आंदोलनकारियों से फर्जी हथियार बरामदगी के मामले में सीबीआइ ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर विवेचक को फिर से तलब करने की मांग की है। बचाव पक्ष की ओर से इसका विरोध किया गया। कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की अगली तिथि 13 फरवरी निर्धारित कर दी।
तीन दशक पहले अलग राज्य उत्तराखंड के गठन की मांग को लेकर आंदोलन शुरू हुआ था। सैकड़ों बस और कारों में सवार होकर हजारों आंदोलनकारी महिला और पुरुषों ने देहरादून से दिल्ली के लिए कूच किया था। उत्तराखंड संघर्ष समिति की ओर से अधिवक्ता अनुराग वर्मा ने बताया कि आंदोलनकारियों को दो अक्टूबर 1994 की रात छपार थानाक्षेत्र के रामपुर तिराहा पर बैरिकेडिंग लगाकर रोक लिया गया था।
रात के समय फायरिंग में सात आंदोलनकारियों की गोली लगने से मौत हुई थी, जबकि कई महिलाओं से दुष्कर्म, छेड़छाड़ और लूटपाट का आरोप भी पुलिसकर्मियों पर लगा था। पुलिस ने आंदोलनकारियों से हथियार बरामद दिखाए थे, लेकिन विवेचना के बाद सीबीआइ ने आंदोलनकारियों से हथियार बरामदगी के मामले को फर्जी बताते हुए थाना झिंझाना के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक ब्रजकिशोर सहित कई पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज कर चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी।
उक्त मामले की सुनवाई एसीजेएम मयंक जायसवाल कर रहे हैं। शुक्रवार को उक्त मामले में सुनवाई हुई। सीबीआइ की ओर से कोर्ट में 311 सीआरपीसी के तहत प्रार्थना पत्र देकर मामले के विवेचक सीबीआइ के तत्कालीन इंस्पेक्टर यशवीर सिंह को कोर्ट में गवाही के लिए फिर से तलब करने की मांग की। बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेंद्र शर्मा ने सीबीआइ के प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए अनुमति न दिए जाने की मांग कोर्ट से की।