Blog

Land On Moon: हिमाचल के दो व्यक्तियों का चांद पर जमीन खरीदने का दावा, क्या आप भी खरीदना चाहते हैं, जानें नियम

दिल्ली: अक्सर यह सुनने को मिल जाता है कि अमुक आदमी ने चांद पर जमीन खरीदी है। कभी सुपरस्टार अभिनेता शाहरूख खान का नाम, तो कभी सुशांत सिंह राजपूत का नाम चांद पर जमीन खरीदने वालों की सूची में पढ़ने को मिलता रहा है। हाल ही में हिमाचल प्रदेश के दो लोगों ने दावा किया है कि उन्होंने चांद पर जमीन खरीद ली है।

इस बीच हमें जानना जरूरी है कि आखिर अभी किसने चंद्रमा की जमीन खरीदने का दावा किया है? अगर जमीन बेची जाती है तो मालिक कौन है? चांद पर जमीन खरीदने का नियम क्या है? आइए जानते हैं…। हिमाचल के हमीरपुर जिले के कोहला पलासड़ी गांव निवासी सौरभ कुमार ने चांद पर जमीन खरीदने का दावा किया है। पेशे से मेकेनिकल इंजीनियर सौरभ की मानें तो उन्होंने चांद पर आठ कनाल जमीन खरीदने के लिए ऑनलाइन अप्लाई किया था। जिस पर खरीदी गई जमीन के दस्तावेज भी लॉस एंजल्स की इंटरनेशनल लूनर लैंड अथॉरिटी की तरफ से उन्हें भेज दिए गए हैं।

एक दिन पहले ही हमीरपुर के वार्ड नंबर पांच निवासी एडवोकेट अमित शर्मा ने अपनी बेटी को जन्मदिवस पर चांद पर जमीन खरीद का उपहार देने का दावा किया था। दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने साल 2018 में चांद पर जमीन खरीदने की बात कही थी। सुशांत ने भूमि इंटरनेशनल लूनर लैंड्स रजिस्ट्री से खरीदने का दावा किया था।

चांद पर जमीन खरीदने के लिए क्या कोई नियम है?

चंद्र पर भूमि खरीदने के लगातार दावों से सवाल उठता है कि आखिर चांद किसकी संपत्ति है और यह किसे विरासत में हासिल हुई है? जानकारी के मुताबिक, पृथ्वी पर बसी दुनिया के अधिकांश देशों ने इसे कॉमन हेरिटेज का दर्जा प्रदान किया हुआ है। कॉमन हेरिटेज शब्द का प्रयोग सार्वजनिक विरासत के रूप में किया जाता है। इसका मतलब यह हुआ कि कोई भी इसका निजी इस्तेमाल के लिए प्रयोग नहीं कर सकता है। कॉमन हेरिटेज पूरी मानवता के लिए होता है। अगर इसका कोई भी निजी प्रयोग नहीं कर सकता है तो खरीद-बिक्री कैसे? इसका सामान्य सा जवाब है कि इसकी कोई आधिकारिक मान्यता होगी नहीं।

 

आखिर चांद की जमीन कौन बेच रहा है?

इस सवाल के कई जवाब में सबसे बड़ा नाम इंटरनेशनल लूनर लैंड्स रजिस्ट्री नामक जमीन बेचने वाली एक वेबसाइट का नाम आया है। इस वेबसाइट पर जाते ही आपको कई भाषाओं में ‘अंतर्राष्ट्रीय चंद्र भूमि क्षेत्र चांद में आपका स्वागत है। चंद्र रियल एस्टेट, चंद्रमा पर संपत्ति’ लिखा हुआ मिलेगा। अन्य जानकारियां दी गई हैं।

क्या चांद पर जमीन बेचना या खरीदना वैध है?

अब सवाल यह उठता है कि चांद अगर कॉमन हेरिटेज है, तो यह संपत्ति इंटरनेशनल लूनर लैंड्स रजिस्ट्री वेबसाइट पर कैसे बिक रही है। यह वेबसाइट दावा करती है कि कई देशों ने आउटर स्पेश में इसे जमीन बेचने के लिए अधिकृत किया है।

जुलाई 1969 में अमेरिकियों के चंद्रमा पर उतरने से पहले अमेरिका और सोवियत संघ में काफी समय से अंतरिक्ष में जाने की दौड़ चल रही थी। इस बीच अटकलें लगाई गईं कि जो पहले पहुंचा वो संसाधनों का दुरुपयोग करेगा। इस कारण से, जनवरी 1967 में भारत समेत 110 देशों ने एक समझौता किया, जिसे आउटर स्पेश ट्रीटी के नाम से जाना जाता है। भारत, अमेरिका, ब्रिटेन और सोवियत संघ ने ‘चंद्रमा और अन्य खगोलीय पिंडों सहित बाहरी अंतरिक्ष की खोज और उपयोग में देशों की गतिविधियों को नियंत्रित करने वाले सिद्धांतों पर संधि पर हस्ताक्षर किए। अक्तूबर 1967 में आउटर स्पेश ट्रीटी प्रभावी हुई और अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष कानून की नींव बन गई। इसके लिए संयुक्त राष्ट्र की एक समर्पित एजेंसी यूएनओओएसए है। यूएनओओएसए यानी बाहरी अंतरिक्ष मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय इस संधि की देखभाल करता है।आउटर स्पेश ट्रीटी औपचारिक रूप से चंद्रमा और अन्य आकाशीय निकायों सहित बाहरी अंतरिक्ष की खोज और उपयोग में देशों की गतिविधियों को नियंत्रित करने वाली सिद्धांतों पर एक संधि है। इसके मुताबिक आउटर स्पेश में चांद भी शामिल है, जो कॉमन हरिटेज है, जिसका मतलब होता है कि इसका कोई भी निजी इस्तेमाल के लिए प्रयोग नहीं कर सकता है।

संधि के अनुच्छेद II में कहा गया है, ‘चंद्रमा और अन्य खगोलीय पिंडों सहित बाहरी अंतरिक्ष, संप्रभुता के दावे, उपयोग या कब्जे या किसी अन्य माध्यम से राष्ट्रीय उपयोग के लिए नहीं है।’ इसके अनुसार, चंद्रमा पर कोई देश अपना दावा नहीं कर सकता। यह पृथ्वी ग्रह पर रहने वाले सभी लोगों के लिए है। हालांकि, संधि व्यक्तियों के लिए नियम निर्दिष्ट नहीं करती है। इस वजह से, कुछ लोगों ने तर्क दिया है कि संपत्ति के अधिकारों को क्षेत्रीय संप्रभुता के बजाय क्षेत्राधिकार के आधार पर मान्यता दी जानी चाहिए। फिर, संधि के अनुच्छेद VI में कहा गया है कि सरकारें किसी भी पक्ष के कार्यों के लिए जिम्मेदार हैं। इसलिए, यह स्पष्ट है कि संधि सभी सार्वजनिक या निजी संस्थाओं पर लागू होती है।

अनुच्छेद VI के अनुसार, ‘संधि के हस्ताक्षरकर्ता देश चंद्रमा और अन्य खगोलीय पिंडों सहित बाहरी अंतरिक्ष में राष्ट्रीय गतिविधियों के लिए अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी वहन करेंगे, चाहे ऐसी गतिविधियां सरकारी एजेंसियों द्वारा या गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा की जाती हों। इसके साथ ही देश यह भी सुनिश्चित करेंगे कि राष्ट्रीय गतिविधियां वर्तमान संधि में निर्धारित प्रावधानों के अनुरूप की जाएं।’ दूसरे शब्दों में, अंतरिक्ष में काम करने वाला कोई भी व्यक्ति, संगठन या व्यवसाय अपनी सरकार के प्रति जवाबदेह है।

Namaskar Live

सोशल मीडिया के इस दौर में खबरों को लेकर भ्रांतियां पैदा हो रही है। ऐसे में आम पाठक को सही खबरें नहीं मिल पा रही है। उसे हकीकत और तथ्यपूर्ण खबरों से रूबरू कराने के लिए ही मैंने यह पोर्टल बनाया है। संपादक तनुजा जोशी

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button