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एमबीए चायवाला और बीटेक पानीपुरी के बाद… अब आइआइटी लॉन्ड्रीवाला, क्यों छोड़ी एक करोड़ की जॉब

दिल्‍ली. एमबीए चायवाला और बीटेक पानीपुरी के बारे में तो आपने बहुत कुछ सुना होगा, लेकिन हम आज आपको बता रहे हैं आईआईटी लॉन्ड्री वाले के बारे में। आईआईटी से पढ़ाई करने के बाद सालाना 84 लाख रुपये पैकेज वाली जमी-जमाई नौकरी छोड़कर यदि कोई कपड़े धोने का बिजनेस शुरू करे तो आप क्या कहेंगे। जाहिर है आपकी भी नाक-भौं सिकुड़ जाएगी। पर कपड़े धोने का बिजनेस शुरू करने वाले अरुणाभ सिन्‍हा की संघर्ष की कहानी किसी में भी जोश भरने के लिए काफी है। अरुणाभ के लिए न पढ़ाई करना आसान रहा और न ही बिजनेस करना। लेकिन, उनको पढ़ाने में उनके घरवालों ने अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया. और अरुणाभ ने बिजनेसमैन बनने को जमकर जोखिम उठाया है. लेकिन, आज अरुणाभ और उनके परिवार के संघर्ष और मेहनत का ही परिणाम है कि उनकी लॉन्‍ड्री कंपनी यू क्‍लीन का सालाना टर्नओवर 100 करोड़ रुपये को पार कर चुका है

फीस के लिए कभी मां के कंगन बेचे तो कभी चाचा ने भरी फीस

अरुणाभ के परिवार का ताल्‍लुक बिहार के भागलपुर से है. परंतु,उनके पिता जमशेदपुर में आ गए थे. उनके पिता एक कॉलेज में टीचर रहे हैं. उनका वेतन बहुत कम था. यही कारण था कि वे जमशेदपुर की एक छोटी सी बस्‍ती में रहते थे. परिवार का गुजारा मुश्किल से होता था. अरुणाभ को पांच किलोमीटर पैदल चलकर स्‍कूल में पढ़ने जाना होता था. अरुणाभ ने 8वीं कक्षा से ही आईआईटी में पढ़ाई करने का मन बना लिया था। आईआईटी में पढ़ाई का सपना लेकर अरुणाभ इंजीनियरिंग एंट्रेस की तैयारी करने लगे. पढ़ाई में वे बहुत होशियार थे. 8वीं में रहते हुए ही वे 11वीं-12वीं के बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया. 12वीं के बाद उन्‍हें आईआईटी बॉम्बे के मेटलर्जी डिपार्टमेंट में एडमिशन मिल गया. लेकिन, वहां की फीस 50 हजार रुपये प्रति सेमेस्‍टर थी. इतना पैसा उनके परिवार के पास नहीं था. उनकी मां ने अपने कंगन बेच अरुणाभ की फीस भरी. दूसरे सेमेस्‍टर की फीस उनके चाचा ने भरी. बड़ी मुश्किल से अरुणाभ ने अपनी पढ़ाई पूरी की.

शुरू किया स्‍टार्टअप

आईआईटी की पढ़ाई पूरी करने के बाद अरुणाभ ने Franglobal नाम का एक स्टार्टअप शुरू किया. यह स्‍टार्टअप इंटरनेशनल कंपनियों को भारतीय बाजार में लाता था. अरुणाभ कंपनियों को भारतीय बाजार, कंपीटिशन और यहां के प्राइसिंग पेटर्न के बारे में बताते थे. उसके बाद उन्हें भारत में एक सही पार्टनर से मिलाते थे. जो भी कंपनियां वह भारत लाते थे, वह फ्रेंचाइजी मॉडल पर काम करती थीं. अरुणाभ भारत में उन्हें एक मास्टर फ्रेंचाइज पार्टनर बनाकर देते थे. इसके बाद ब्रांड इस पूरे काम के लिए उन्हें फीस चुकाते थे।

कंपनी बेच शुरू की नौकरी

2015 में अरुणाभ ने अपनी कंपनी बेच दी और ट्रिबो होटल्‍स में बड़े पद पर नौकरी शुरू कर दी. उनका सालाना पैकेज 84 लाख रुपये था. होटल इंडस्‍ट्री में ही काम करते हुए उन्‍हें पता चला कि होटलों में 60 फीसदी शिकायतें लॉन्ड्री से जुड़ी हुई थीं. कभी बेडशीट गंदी होने की शिकायत तो कभी टॉवेल गंदा होने की शिकायत. ये सब देखकर अरुणाभ ने लॉन्‍ड्री बिजनेस के बारे में सोचा. उन्‍होंने स्‍टडी की तो पता चला लॉन्‍ड्री बिजनेस बहुत बड़ा है, लेकिन पूरी तरह से अनऑर्गेनाइज्ड है. करीब 15 महीने नौकरी करने के बाद उन्‍होंने जॉब छोड़ दी.

2017 में शुरू की Uclean

बाजार में मौका देखते ही अरुणाभ ने खुद का लॉन्ड्री बिजनेस UClean शुरू कर दिया. इसमें उनकी मदद की उनकी पत्नी गुंजन सिन्हा ने और वह बन गईं कंपनी की को-फाउंडर. कंपनी ने पहला स्टोर दिल्ली के वसंत कुंज में खोला. हालांकि, उनके मां-बाप और रिश्‍तेदारों को उनका कपड़े धोने का बिजनेस करने का आइडिया बिल्‍कुल भी अच्‍छा नहीं लगा था.

कंपनी का सालाना टर्न ओवर अब 110 करोड़ रुपये

अब पांच साल में ही उनके स्‍टार्टअप ने खूब तरक्‍की की है. अब 113 शहरों में 390 से ज्यादा Uclean के स्टोर हैं. कंपनी का सालाना टर्न ओवर अब 110 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है. अरुणाभ ने लॉड्री बिजनेस को ऑर्गेनाइज्ड किया है. टेक्नोलॉजी, ऐप की मदद से ऑनलाइन गंदे कपड़ों को कस्टमर से लॉन्ड्री तक और फिर लॉन्ड्री से कस्टमर तक पहुंचाया जाता है. अरुणाभ की कंपनी में अभी 50 लोग काम कर रहे हैं।

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