देश की आजादी के दौरान की स्थिति के बीच अंतरिक्ष में जाने का सपना देखना भी मुश्किल था, लेकिन आज का भारत कुछ और है। जो हर चुनौती से लड़ता हुआ आज दुनिया के सामने मिसाल खड़ी कर रहा है। बुलंद हौसलों के साथ जिस देश के वैज्ञानिकों ने साइकिल और बैलगाड़ियों पर रॉकेट को ढोया, आज अब उसके चंद्रयान-3 मिशन पर दुनियाभर की नजर है। चंद्रयान-3 की लैंडिंग का बेसब्री से इंतजार कर रहे लोगों को आज इस अवसर पर अपने देश के अंतरिक्ष के इतिहास से भी रूबरू होना चाहिए।
इसरो की स्थापना
साल 1962 में भारत ने अंतरिक्ष का सफर करने का फैसला किया और देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) की स्थापना की। बाद में डॉ. विक्रम साराभाई ने उन्नत टेक्नोलॉजी के विकास के लिए 5 अगस्त, 1969 को इसका नाम बदलकर ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ (ISRO) कर दिया गया। आज इसरो को दुनिया की 6 सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसियों में से एक के रूप में जाना है।