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रुड़की में पिटबुल के हमले में घायल वृद्धा ने एम्स में दम तोड़ा, कुत्ते ने बुरी तरह नोंच डाला था

रुड़की: पिटबुल नस्ल के कुत्ते के हमले में घायल हुई वृद्धा ने सात दिन बाद ऋषिकेश एम्स में दम तोड़ दिया। महिला के मुंह समेत शरीर के कई हिस्सों पर गहरे जख्म आए थे। महिला के बेटे ने कुत्ते के स्वामी के खिलाफ सिविल लाइंस कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था, लेकिन घटना के नौ दिन बाद भी पुलिस ने मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है।

पुलिस का कहना है कि अब मुकदमे में धारा तरमीम करने के लिए विधिक राय ली जा रही है। वहीं, नगर पंचायत ढंडेरा के अधिकारियों ने कुत्ता पालने के लिए रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था नहीं होने की बात कहकर मामले से पल्ला झाड़ लिया है।

सिविल लाइंस कोतवाली क्षेत्र के ढंडेरा निवासी संजय सिंह ने पुलिस को दी तहरीर में बताया था कि आठ दिसंबर को दोपहर 12 बजे के आसपास उनकी मां केला देवी (70) पोस्ट आफिस वाली गली में किसी परिचित के यहां जाने के लिए घर से निकली थीं। ढंडेरा में ही रनजोत नाम के व्यक्ति ने अपने घर में खतरनाक नस्ल के कुत्ते पाल रखे हैं। जैसे ही उनकी मां उसके घर के पास से गुजरीं, पिटबुल नस्ल के एक कुत्ते ने उन पर हमला कर दिया। कुत्ते ने उनके मुंह समेत शरीर के कई हिस्सों को बुरी तरह नोंच डाला।

आसपास के लोगों ने शोर मचाकर जैसे-तैसे उन्हें कुत्ते के चंगुल से छुड़ाया। संजय तत्काल मां को रुड़की के सिविल अस्पताल ले गए, जहां से चिकित्सकों ने उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए एम्स ऋषिकेश रेफर कर दिया। वहां शुक्रवार को उपचार के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।

इस बीच पुलिस ने कुत्ते के स्वामी पर धारा-289 के तहत मुकदमा दर्ज करने के अलावा कोई और कार्रवाई नहीं की। अब तक पुलिस ने महिला के स्वजन के ही बयान दर्ज किए हैं। पुलिस का कहना है कि वह एम्स ऋषिकेश गई थी, लेकिन महिला की हालत गंभीर होने के चलते बयान दर्ज नहीं हो पाए।

पुलिस बोली, धारा-289 में नहीं गिरफ्तारी का प्रविधान

कोतवाली प्रभारी निरीक्षक आरके सकलानी ने बताया कि धारा-289 में गिरफ्तारी का प्रविधान नहीं है, इसके चलते मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं की गई। अब महिला की मौत के बाद मामले में धारा तरमीम करने के लिए विधिक राय ली जा रही है। इसके बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। महिला के शव का पोस्टमार्टम कराया गया है, जिसकी रिपोर्ट अभी तक नहीं मिली है। वहीं, रुड़की के अधिवक्ता संजीव वर्मा का कहना है कि इस मामले में साक्ष्य और जांच के बाद ही धारा तरमीम की जा सकती है। पीड़ित की मौत हो चुकी है, ऐसे में उसके स्वजन के बयान काफी मायने रखेंगे। इस मामले में पुलिस ने अभी धारा-289 के तहत मुकदमा दर्ज किया है, जिसमें करीब छह माह की कैद का प्रविधान है।

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