राफ्टिंग के लिए अभी करना होगा इंतजार, क्योंकि अभी कम नहीं हो रहा गंगा का जलस्तर
देहरादून: ऋषिकेश में गंगा के कौडियाला-मुनि की रेती इको टूरिज्म जोन में अभी रिवर राफ्टिंग के लिए पर्यटकों काे और इंतजार करना पड़ेगा। जिला तकनीकी समिति के सर्वे में गंगा का अभी राफ्टिंग के अनुकूल नहीं पाया गया। अब 12 सितंबर को फिर से तकनीकी समिति गंगा में राफ्टिंग के लिए अनुकूल परिस्थितियों का जायजा लेगी।
गंगा का कौडियाला मुनिकीरेती इको टूरिज्म जोन राफ्टिंग गतिविधि के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यहां प्रत्येक वर्ष हजारों की संख्या में देश-विदेश के पर्यटक राफ्टिंग के लिए पहुंचते हैं। मानसून काल में एक सितंबर से 31 जून तक गंगा में राफ्टिंग की गतिविधि पर रोक रहती है। इस बार पर्वतीय क्षेत्रों में पिछले दिनों भारी वर्षा हुई, जिससे गंगा की सहायक नदियों में भारी उफान आ गया। गंगा का जलस्तर भी अभी तक बढ़ा हुआ है। जिससे तय समय एक सितंबर से गंगा में राफ्टिंग की गतिविधि शुरू नहीं हो पाई।
शुक्रवार को गंगा में रिवर रफ्टिंग की गितिविधि को संचालित करने के लिए गठित जिलास्तरीय तकनीकी समिति ने कौडियाला-मुनिकीरेती इको टूरिज्म जोन में राफ्टिंग के शिवपुरी, व्यासी, मरीन ड्राइव, नीम बीच के पुलइन तथा पुलआउट प्वांइट के अलावा रेपिड और गंगा के बहाव का अध्ययन किया।
जिला साहसिक क्रीड़ा अधिकारी टिहरी केएस नेगी बताया कि निरीक्षण के दौरान तकनीकी समिति ने पाया कि अभी तक गंगा का जलस्तर राफ्टिंग के अनुकूल नहीं है। गंगा का जलस्तर अभी भी बढ़ा हुआ है, जिससे गंगा में बनने वाले रेपिड अभी सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक हैं।
तेज बहाव होने के कारण राफ्टिंग के लिए आने वाले पर्यटकों के लिए इन परिस्थितयों में राफ्टिंग कराना कतई सुरक्षित नहीं है। तकनीकी टीम ने अनुमान लगाया कि अभी फिर से 12 अगस्त को तकनीकी टीम गंगा के जलस्तर का निरीक्षण करेगी, जिसके बाद राफ्टिंग को लेकर फैसला लिया जाएगा।
तकनीकी समिति में जिला साहसिक क्रीड़ा अधिकारी टिहरी केएस नेगी, वन विभाग के उप प्रभागीय वनाधिकारी अनिल पैन्यूली, आइटीबीपी के प्रतिनिधि केवल सिंह, राफ्टिंग एसोसिएशन के प्रतिनिधि धमेंद्र नेगी व विकास भंडारी आदि शामिल थे।
गंगा में अभी राफ्टिंग शुरू होने में कुछ समय लगेगा। इस बीच वन विभाग राफ्टिंग के पुलइन तथा पुलआउट प्वाइंट को जोड़ने वाले रास्तों की मरम्मत करेगा। इस वर्ष भारी वर्षा के चलते पुलइन तथा पुलआउट प्वाइंट को जोड़ने वाले रास्ते भी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए हैं।
शुक्रवार को तकनीकी समिति के निरीक्षण में इस बात को भी केंद्र में रखा गया। तकनीकी समिति ने सुझाव दिया कि सभी जगह पुलइन तथा पुलआउट प्वाइंट के रास्तों को भी दुरुस्त किया जाना जरूरी है। जिस पर वन विभाग ने 12 सितंबर तक सभी रास्तों को दुरुस्त करने की सहमति दी है।