आज दोपहर 12.24 बजे क्या होगा ऐसा, कि आपका साथ छोड़ देगी आपकी परछाई
देहरादून: कहा जाता है कि आपका साथ कोई भी छोड़ दे, लेकिन एक साया होता है जो आपका साथ कभी नहीं छोड़ता, लेकिन आज आपकी परछाई भी आपका साथ छोड़ देगी। दरअसल आज एक खगोलीय घटना देखने के बाद आप ऐसा दोबारा कभी नहीं कहेंगे। दोपहर 12.24 बजे के बाद किसी भी चीज की परछाई देखने के लिए नहीं मिलेगी। उत्तराखंड के साथ ही पूरे देश में यह सब होगा।
इसलिए नहीं दिखेगी परछाई
शून्य छाया दिवस एक ऐसी खगोलीय घटना है जो सूर्य के ठीक सिर पर होने के बाद घटित होती है। दरअसल, आज दोपहर को तय समय पर सूर्य बिल्कुल सीध में होगा। ऐसे में इंसान हो या वस्तु कुछ समय के लिए सभी की परछाई गायब हो जाएगी। इस बार ये वर्ष में दूसरी बार देखने को मिलेगी। इससे पहले बंगलुरू में 25 अप्रैल को ऐसा नजारा देखने को मिला था।
रोज नहीं होती है इस प्रकार की घटना
रोजाना हमारी परछाई की लंबाई क्षितिज से सूर्य की ऊंचाई पर निर्भर करती है। दिन के शुरू में यह लंबी होती है और जैसे-जैसे दिन चढ़ता है, परछाई छोटी होती जाती है। दोपहर के समय तो हमारी परछाई सबसे छोटी हो जाती है। लेकिन, हर रोज परछाई की लंबाई दोपहर के समय शून्य नहीं होती है। लेकिन आज पूरी तरह शून्य हो जाएगी।
लंबी चीजों की परछाई नहीं दिखेगी
जैसे ही इस खगोलीय घटना का समय नजदीक आएगा आपकी परछाई गायब होने लगेगी। यहां तक की आपके आस पास की बिल्डिंग्स, खंभों की भी परछाई गायब हो जाएगी। इस घटना को और बेहतर तरीके से समझने के लिए आप सूरज की रोशनी में पानी की बोतल, टॉर्च भी खड़ी करके रख सकते हैं। 12.24 बजे के चंद सेकंड बाद ही आपको अहसास होगा कि इन सभी चीजों की परछाई गायब हो गई है।
इन कारणों से नहीं बनती है परछाई
सूरज की किरणें कभी भी किसी ऑब्जेक्ट, चाहे वो इंसान हो, जानवर या कोई वस्तु, उसे पार नहीं कर पाती हैं। ऐसे में जब किरणें नीचे की तरफ आती हैं तो ऑब्जेक्ट से टकराती तो हैं, लेकिन उसे भेद नहीं पातीं। तब रुकी हुई रोशनी जितने हिस्से पर परछाई-नुमा अंधेरा छा जाता है। यही शैडो है। तो एक तरह से रोशनी की कमी है, जो परछाई कहलाती है।
इस खगोलीय घटना के कई प्रभाव हैं
सीएसए यूनिवर्सिटी के मौसम विज्ञानी डा. एसएन सुनील पांडेय के मुताबिक वर्ष में केवल दो दिन 21 मार्च (वसंत ऋतु) और 23 सितंबर (शरद ऋतु) ऐसे होते हैं जब दिन और रात्रि की लंबाई समान होती है। गर्मियों में 21 जून को सूर्य कर्क रेखा (23.4 अंश उत्तर) के ठीक ऊपर चमकता है और क्रमशः दक्षिण की ओर बढ़ते हुए 22 दिसंबर सर्दियों को मकर रेखा ऊपर आ जाता है। 21 मार्च को कर्क रेखा पर दिन का उजाला 13.35 घंटे और राम में अंधेरा 10.25 घंटे तक रहता है। 22 दिसंबर को मकर रेखा पर भी यही घटनाक्रम होता है। इसी कारण उत्तरी गोलार्ध में 21 मार्च से दिन में उजाले का समय 12 घंटे से क्रमशः बढ़ते जाता है। यही मौसम में बदलाव का कारण है।