बागेश्वर

Bageshwar By Election : जीत के बाद भी भाजपा को क्यों करना पड़ रहा मंथन

बागेश्वर: कैबिनेट मंत्री स्व. चंदन राम दास के निधन के बाद खाली हुई बागेश्वर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा भले ही 2405 मतों से जीत गई हो, लेकिन यह उपचुनाव सत्ताधारी दल को कई मायनों में मंथन करने को भी मजबूर कर गया है। वहीं, कांग्रेस ने नजदीकी टक्कर देकर अपनी ताकत का भी अहसास कराया। अब इस हार-जीत का प्रभाव कहीं न कहीं आगामी लोकसभा व निकाय चुनावों पर भी दिख सकता है।

2022 के मुख्य चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी चंदन राम दास ने अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के रंजीत दास को लगभग 12 हजार से अधिक मतों पराजित किया था। अप्रैल में कैबिनेट मंत्री चंदन राम के निधन के बाद इस उपचुनाव में उनकी पत्नी पार्वती दास को टिकट दिया गया। मगर जीत का अंतर मात्र 2405 वोट में सिमट गया।

पार्वती दास को 33247 मत तो उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के बसंत कुमार को 30842 मत मिले। माना जाता है कि जनप्रतिनिधि की मृत्यु पर उसके स्वजन को टिकट मिलने पर उसे सहानुभूति का लाभ भी मिलता है। सत्ताधारी दल के लिहाज से भी स्थिति अधिक मजबूत हो जाती है। मगर यहां इसके बाद भी जीत का अंतर मामूली रहा। कांग्रेस-भाजपा दोनों ने इस उपचुनाव को जीतने के लिए ऐढ़ी-चोटी का जोर लगाया था। कांग्रेस की बात करें तो कई चुनावों के बाद इस बार कांग्रेस के सभी नेता एकजुट होकर चुनाव लड़े थे।

वहीं भाजपा के लिए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने दो दौरे, दो जनसभा और कई नुक्कड़ सभाएं की। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, संगठन मंत्री अजेय कुमार जुटे थे तो कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा यहां के प्रभारी थे। इसके अलावा लगभग प्रत्येक मंत्री को जिम्मेदारी दी थी। इस परिणाम ने भाजपा को अधिक तैयारी करने के संकेत दिए हैं। वहीं कांग्रेस को भी इस उपचुनाव ने अपने को आंकने का मौका दिया है। हार से भले ही पार्टी के हाथ निराशा लगी है मगर कड़ी टक्कर देकर संगठन में करंट जरूर तेज हुआ है।

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